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शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

Best Story of life ! भौतिक सुख और रिश्तो का बंधन

  भौतिक सुख में अपनो को नजर अंदाज करती आज का शिक्षित समाज

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मै बिस्तर से उठा ........अचानक छाती में दर्द होने लगा ......... 
मुझे हार्ट ....  की तकलीफ तो नहीं है  .......  ? 
ऐसे विचारो के साथ .........मै आगे वाले बैठक के कमरे में गया .........
मैंने नजर की   .........की मेरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था  .........
मैंने  .........पत्नी को देख कर कहा  .........
रीतू, आज छाती में रोज से ज्यादा दर्द हो रहा है  .........
डॉक्टर को बता कर आता हु  .........पत्नी ने कहा हा, मगर संभल कर जाना  ......... 
काम हो तो फोन करना
मोबाइल में आँख गड़ाए रीतू बोली  .........
मै  .........गाड़ी की चाभी लेकर पार्किंग में पंहुचा  .........
पसीना मुझे बहुत हो रहा था  ......... गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी  .........
ऐसे वक्त  .........हमारे घर का काम करने वाला नौकर साइकिल ले कर आया  .........साइकिल को ताला मारते हुऐ मेरी तरफ सामने देखा  ........
क्यों साहब  .........गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही  है  ......... मैंने कहा नहीं  .........
आप की तबियत ठीक नहीं लगती साहब  .........इतना पसीना क्यों आ रहा है ?
साहब  .........गाड़ी का किक इस हालत में नहीं मारते  .........
मै किक मार के चालू कर देता हु  .........
उसने एक किक मार कर गाड़ी चालू कर दिया, साथ ही पूछा  .........साहब अकेले जा रहे हो ?
मैंने कहा हा  .........ऐसे हालत में अकेले नहीं जाते  .........
चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये  .........
मैंने कहा तुम्हे गाड़ी चलाना आता है ? 
साहब  .........गाड़ी का लाइसेंस भी है। चिंता छोड़ कर बैठ जाइये
पास ही एक अस्पताल में हम पहुंचे, हमारे नौकर ने दौड़ कर अन्दर गया, और व्हील चेयर लेकर बाहर आया  .........साहब  ......... अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाइये  .........
उसके मोबाईल पर लगातार घंटिया बज रही थी  .........मै समझ गया  .........घर से सबके फोन आते होंगे  ......
की अब तक क्यों नहीं आया ?
उसने आखिर कई बार घंटी बजने के बाद, थक कर कह दिया की  .........आज नहीं आ सकता  .........
हमारे यहाँ काम करने वाले नौकर, डाक्टर के जैसे व्यवहार करता था  .........उसे बगैर पूछे मालूम हो गया की साहब को हार्ट की  तकलीफ होगी  .........लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ नौकर ने ले कर गया  .........
डाक्टरों की टीम तो तैयार ही थी  .........मेरी तकलीफ सुन कर  .........सब टेस्ट शीघ्र ही किये  .........डॉक्टर ने कहा आप समय पर पहुंच गए हो  .........
इसमें भी आप ने व्हील चेयर का उपयोग किया  .........वह आप के लिए बहुत फायदेमंद रहा  .........
अब  .........देर करना आप के लिए हानिकारक होगी  .........इस लिए बिना देर किये हमें हार्ट का आपरेशन कर के आपके हार्ट ब्लॉकेज को जल्द ही दूर करने होंगे  .........
इस फॉर्म पर आप के परिवार की हस्ताक्षर की जरुरत है  .........डॉक्टर नौकर के सामने देखा  .........
मैंने कहा बेटा दस्तखत करने आती है ?
साहब इतनी बड़ी जबाबदारी मुझ पर न रखो  .........
बेटे  .........तुम्हारी कोई जबाबदारी नहीं है  .........तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है  .........फिर भी बगैर कहे तुम ने अपनी जबाबदारी पूरी की, वह जबाबदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी  .........
एक और जबाबदारी पूरी कर ,बेटा मै निचे लिख कर सही कर के दूंगा की मुझे कुछ भी होगा तो जबाबदारी मेरी है हमारे नौकर  हमारे कहने पर ही हस्ताक्षर किये है, अब बस  .........
और हां, घर फोन लगा कर खबर कर दो  .........
बस, उसी समय मेरे सामने, मेरी पत्नी रीतू का फोन उस नौकर के मोबाइल  पर आया
नौकर ने ,शांति से रीतू को सुनने लगा  .........
थोड़ी देर बाद नौकर ने बोला,
मैडम, आप को पगार काटने का हो तो काटना,
निकलने का हो तो निकाल दो, मगर अभी अस्पताल ऑपरेशन के पहिले पहुंच जाओ
हा मैडम, मै साहब को अस्पातल लेकर आया हु  .........डॉक्टर ने ऑपरेशन की तयारी कर ली है, और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है  .........
मै मन में सोचा, रीतू तू किसकी पगार काटने की बात कर रही हो, और किसको निकले की बात कर रही हो ?
आखो में आँशु के साथ नौकर के कंधे पर हाथ रख कर, मैंने कहा बेटा चिंता नहीं कर  .........मै एक संस्था में सेवाएं देता हु, वे बुजुर्ग लोगो को सहारा देते है, वहा तुम जैसे व्यक्ति की जरुरत है  .........
तुम्हारा काम बर्तन कपडे धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है  .........
ऑपरेशन बाद, मै होश में आया  .........मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था, मै आखो में आंसू के साथ बोला, हमारा नौकर कहा है ?
रीतू बोली - वो अभी ही छुट्टी लेकर गांव गया है, कहता था, उसके पिता जी हार्ट अटैक में गुजर गए है  .........15 दिन के बाद आएगा  .........
अब मुझे समझ में आया उनको मेरे में उसका बाप दीखता होगा  .........
हे प्रभु, मुझे बचा कर आप ने उसके बाप को उठा लिया। .
पूरा परिवार हाथ जोड़ कर, मूक नतमस्तक माफ़ी मांग रहा था  .........
एक मोबाइल की लत  .........
अपनी व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेके जाता है  .........वह परिवार देख रहा था डॉक्टर ने पूछा जो आप को ले के आये थे वो आप के क्या लगते है ?
कुछ सम्बन्धो के नाम या गहराई तक न जाए तो ही उस सम्बन्ध की गरिमा होगी
बस मै इतना ही कहुगा की, वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था,
एक निर्जीव खिलौने ने, जीवित खिलौने को गुलाम बना दिया है, समय आ गया है की उसका मर्यादित उपयोग करना,
नहीं तो  .........
परिवार समाज और राष्ट्र को उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेगे, और उसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

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