यह कैसे शहर में हम आ गये है बहुत मुज्तर है हम घबरा गये है
😈😈😈😈😈यह कैसे शहर में हम आ गये है
बहुत मुज्तर है हम घबरा गये है
हवा में भर गया है जहरे दहशत
ये बच्चे फूल से कुम्हला गये है
बधी है गाय सी खुटी से जनता
सितमगर दुहने को आ गये है
उठो मिलकर गिरा दो सरहदों को
परिंदे हमको ये समझा गये है
सितम है ''डॉ तारा चन्द ''नफरत के शोले
तबाही चार शु फैला गये है...... 😈😈😈😈
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