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सोमवार, 7 मई 2018

Best Poetry in Hindi ! रहजन से भी बदतर है बहुत आज का रहबर इक अंधे से मंजिल का पता माँग रहे हो।

रहजन से भी बदतर है बहुत आज का रहबर  इक अंधे से मंजिल का पता माँग रहे हो।

origina

💔💔💔💔💔
सैयदों से आजाद फिजा माँग रहे हो
गुलचीनों से गुलशन का पता माँग रहे हो
धनवानों से उम्मीद है क्या रहमो करम की
नादान हो क्यू इनसे दया माँग रहे हो
रहजन से भी बदतर है बहुत आज का रहबर
इक अंधे से मंजिल का पता माँग रहे हो
 ही खतावार है इंसाफ के मुजरिम
क्यों अपने लिए सजा माँग रहे हो
घर खंजरों में अपना बनाया हो तो ''डॉ तारा चन्द  ''
क्यू चैन से जीने की दवा माँग  रहे हो।   💕💕💕💕

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