टुटा है बादलो से तो परवाह नहीं उसे मोती की शक्ल शिप के अंदर भी बनेगा
😈😈😈😈😈
पत्थर है रस्ते का तो मंदर भी बनेगा
कतरा है एक रोज समंदर भी बनेगा
टुटा है बादलो से तो परवाह नहीं उसे
मोती की शक्ल शिप के अंदर भी बनेगा
चेहरा हसीन कैद निगाहों में है तो क्या
अपना सा कोई दिल के अंदर भी बनेगा
रख देगा कोई प्यार से शानो पे अपना हाथ
मुमकिन है किसी शाम यू मंजर भी बनेगा
गर्दिश में सितारे है कोई गम नहीं ''तारा''
बेबस है आज ,कल को सिकंदर भी बनेगा....... 😈😈😈😈😈
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