जिंदगी भर यही भूल करता रहा ग़ालिब, धूल चेहरे पर थी ....! और मै आईना साफ़ करता रहा।
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कोई खुशियों की चाह में रोया,
कोई दुखों के पनाह में रोया.......!
अजीब सिलसिला है ये जिंदगी का
कोई भरोसे के लिए रोया..........!
तो कोई भरोसा कर के रोया......! 💘💘💘
💔💔💔💔
वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैंने
वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैंने
ये सोच कर की न हो पास में हो ख़ुशी कोई
गमो की ओट में खुद को छुपा लिया मैंने
कभी न ख़त्म किया मैंने रोशनी की मुहाज
अगर चिराग बुझा, तो दिल जला लिया मैंने
कमाल ये है की जो तीर दुश्मन पे चलाना था
वो तीर खुद, अपने कलेजे पे खा लिया मैंने। 💘💘💘
💔💔💔💔
अपना बना कर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया
भर गया दिल हमसे और मज़बूरी का बहाना बना दिया। 💘💘💘
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जिंदगी भर यही भूल करता रहा ग़ालिब
धूल चेहरे पर थी ...................!
और मै आईना साफ़ करता रहा। 💘💘💘
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