हम अपनी वफ़ा का इन्साफ किससे मांगते वो शहर भी तेरा था और वो अदालत भी तेरी थी
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वक्त नूर को भी बेनूर बना देता है
वक्त फ़क़ीर को भी हुजूर बना देता है
वक्त की क़द्र कर ऐ बन्दे क्योकि .........
वक्त कोयले को भी कोहिनूर बना देता है 💕💕💕
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किसी ने पूछ ही लिया, इस दुनिया में आप का अपना कौन है
मैंने भी हंस कर कह ही दिया ........ "समय"
अगर वो सही तो सभी अपने ,वर्ना कोई नहीं है अपना, 💕💕💕
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अच्छे रिश्ते को वादे और,
शर्तो की जरुरत नहीं होती
बस दो खूबसूरत लोग चहिये,
एक निभा सके और दूसरा इसको समझ सके 💕💕💕
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वो मोहब्बत भी तेरी थी
वो नफरत भी तेरी थी
वो अपनापन और ठुकराने
की अदा भी तुम्हारी थी
हम अपनी वफ़ा का
इन्साफ किससे मांगते
वो शहर भी तेरा था
और वो अदालत भी तेरी थी 💕💕💕
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वो मोहब्बत भी तेरी थी
जवाब देंहटाएंवो नफरत भी तेरी थी
वो अपनापन और ठुकराने
की अदा भी तुम्हारी थी
हम अपनी वफ़ा का
इन्साफ किससे मांगते
वो शहर भी तेरा था
और वो अदालत भी तेरी थी
सर ये मेरी रचना है कृपया नाम और रचना को तारीख एडिट करे
VAIBHAVRV 140/04/2013
vaibhavrv जी आप का धन्यवाद ऐसी सुन्दर रचना के लिए।
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