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इंदौर का ज्योति निवास अनाथालय आज भी गरीबो के लिए बरदान है। मदर टेरेसा आज भी किसी मसीहा से कम नहीं है। गरीबो और जरुरतमंदो की जीवनभर सेवा और मदद करने वाली मदर टेरेसा 1987 में इंदौर आई थी और दो दिन तक नौलखा स्थित ज्योति निवास में रुकी थी। वहा की सिस्टर शीरीन के अनुसार मदर टेरेसा के उसूलो के आधार पर चलकर आश्रम के लोग आज भी हर महीने स्लम एरिया और गावो के सौ लोगो की मदद करते है। ज्योति निवास में आज भी अपनों द्वारा ठुकराए गए बुजुर्गो को रखकर उनका इलाज और सेवा किया जाता है।
मदर टेरेसा के आश्रम ज्योति निवास में बहुत से लोग अनाथ बच्चो को छोड़ जाते है यहाँ की इंचार्ज सिस्टर शिरीन के अनुसार अब तक यहाँ से 600 बच्चो को गोंद दिया जा चूका है।
संस्था इंटरनेशनल चैरिटी फॉर ऑरफंड एंड एबंडंड चिल्ड्रेन के अनुसार हमारे भारत में 2 करोड़ अनाथ बच्चे है, जो की कुल बच्चो का लगभग 4 फीसदी है और 0.3 फीसदी ऐसे है जो माता पिता की मौत के कारण अनाथालय में रह रहे है। करीब 60 लाख बच्चे मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में है जो अनाथालय में रह रहे है अगर ऐसे ही रहा तो 2021 तक यह संख्या 71 लाख तक हो जाएगी।
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