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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

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पूँजीपतियों की गुलाम है कुछ पार्टिया


UP-Election
Pic credit - Google/vyasmedia.blogspot.com

सोशल मिडिया पर एक खबर वायरल है जिसे पढ़ कर आप भी जानेगे की राजनीत में में क्या क्या नहीं संभव है। आज से ठीक 5 साल पहले हुआ सत्ता संघर्ष क्या याद है आपको उस संघर्ष में भाजपा पर कब्ज़ा ज़माने के लिए आडवाणी और मोदी के बिच एक यूद्ध छिड़ा था। सुलह समझौता राजनाथ सिंह ने करवाया था नितिन गडकरी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी दरअसल हुआ क्या था 5 साल पहले तो चलिए हम आप को बताते है की 5 साल पहले झगड़ा किस बात पर था।
दरअसल बात यह थी की लालकृष्ण आडवाणी जो की भाजपा के सबसे वरिष्टतम सदस्य है उन्होने भाजपा के सामने यह सर्त रखी की वह उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये लेकिन नरेंद्र मोदी बिगड़ गए। नरेंद्र मोदी ने सीधी धमकी दे डाली की अगला प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार उन्हें ही बनाया जाए वो भी इसे महीने। यह सुनकर सब सकते में आ गये। खबर जैसे ही दिल्ली पहुंची आनन - फानन में तुरंत भाजपा हाईकमान की मीटिंग हुई। नरेंद्र मोदी और आडवाणी दोनों के बिच सुलह करवाने का प्रयास हुआ और अंत में यह निर्णय लिया गया की चुनाव लड़ने के लिए धन की व्यवस्था आडवाणी और मोदी में जो भी करेगा पार्टी उन्हें ही प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाएगी।
अपने 12 साल के गुजरात के शासन के दौरान नरेंद्र मोदी की मित्रता कुछ बड़े उद्दोयोगपतियो के साथ थी जब की आडवाणी के साथ यह सुविधा नहीं थी। धन की व्यवस्था करने में नरेंद्र मोदी सफल रहे अब उसके बाद घटना क्रम धीरे - धीरे बदले लग गया पूजीपतियों ने भाजपा के सामने सर्त रख दी की भाजपा को तभी धन उपलब्ध करवाएंगे यदि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दे। भाजपा को पूजीपतियों के दबाव के आगे झुकना पड़ा और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना पड़ा। आडवाणी नाराज हो कर कोप भवन में बैठ गये।
उसके बाद धीरे - धीरे घटनाक्रम बदला लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुकेश अंबानी ने 22 मिडिया चैनल ख़रीदे। इन चैनल को यह निर्देश था की वे दिन रात मोदी का प्रचार करे , उनकी रैलियों के भाषण लाइव टेलीकास्ट करे, और समस्त विपक्षी नेता यानि आज के विपक्षी नेताओ पर तंज कसने के लिए कहा गया। मायावती, अखिलेश, केजरीवाल, राहुल गाँधी,सोनिया गाँधी, लालू समेत तमाम नेताओ पर तंज कसने के लिए कहा गया। मिडिया ने यह काम बखूबी किया भी। तक़रीबन 600 वेबसाइटों को मुकेश अंबानी ने खरीद लिया। नरेंद्र मोदी ने 400 रैलिया की इन रैलियों का खर्चा अपने 67 पूजीपति मित्रो के द्वारा उठाया गया। नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार करने के लिए एक हेलीकाप्टर दिया गया था यह हेलीकाप्टर चुनाव प्रचार के लिए अडानी ने दिया था।
जैसे ही परिस्थियाँ थोड़ी सी बदली, देश के प्रधानमंत्री मोदी जी बन गए उसके बाद सिलसिला सुरु हुआ कर्ज उतारने का। तो सुनिए क्या - क्या हुआ, अडानी को ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड शहर में खनन के लिए 6000 करोड़ का कर्ज नरेंद्र मोदी ने दिलवाया उसके पिछले 67000 करोड़ के लोन माफ़ कर दिए गए। मुकेश अम्बानी को फ्री में 4 जी स्पेक्ट्रम दिए गए इसके अलावा मुकेश अंबानी की कंपनी पर पिछली सरकार द्वारा लगाया गया जुर्माना माफ़ कर दिया गया उनके भी कुछ कर्जो को राइट ऑफ़ कर दिया गया। दैनिक जागरण अखबार ने लोकसभा प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी का बखूबी साथ दिया था इसलिए इस अखबार के मालिक को मोदी जी ने राज्यसभा के सांसद बना दिया। दैनिक भास्कर अखबार जिसके मालिक वेदांता कंपनी है उनको मोदी जी ने छत्तीसगढ़ में कोयले की खदान दिलवा दी। Zee News जिसने दिन - रात नरेंद्र मोदी का प्रचार किया और आज भी कर रहा है उसके मालिक सुबाष चंद्रा को भाजपा ने राज्यसभा सांसद बना दिया तो देखो दोस्तों यह थी खबर। बाकि जो मिडिया दिन - रात आपको दिखाता है वह तो सिर्फ उसका प्रचार है।
पूँजीपतियों की गुलाम है कुछ पार्टिया जो देश हित की नहीं अपनी हित के लिए कुछ भी कर सकते है जनता को झांसे में लाने के लिए ये हर तरह का झूठा दिखावा करगे। जबकि इनका आधार ही बिलकुल गलत है ऐसे लोग अपनी अस्तित्व को बचाने के लिए सिर्फ खरीदना और लोगो को तोडना ही जानते है। 



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